गुरुवार, 24 सितंबर 2015

ज़ख्म रिसते है



ये जो शेर मैं कहता हूँ
टूटे दिल से निकलते है

एक चोट खाई थी कभी
ज़ख्म अभी भी रिसते है
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रोज़ तकाज़ा करते है
दुनियां भर के गम मुझसे

ये क़र्ज़ उतरता ही नहीं
जाने कितनी किश्तें है
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एक दिन रंग निखर आएगा
कोई हथेली सजाएगा

मेहंदी बन जाने से पहले
पत्ते पत्थर पे पिसते है
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शिवराज 

मंगलवार, 15 सितंबर 2015

प्यार और पैसा

गरीब लोग लोगो को सच्चा प्यार करते हैं
अमीर लोगों को लोग सच्चा प्यार करते हैं
ये बात बिलकुल सच है तुम मानो के न मानो
हमारा फ़र्ज़ है हम आप को ख़बरदार करते है
शिवराज

सोमवार, 14 सितंबर 2015

एक कविता :हिन्दी दिवस पर


हर शाम अपनी महफ़िल को आबाद करता हूँ
सिर्फ तन्हाई में ही उसको मैं याद करता हूँ
कोई बीच में आये नहीं पूरा ख्याल रखता हूँ
जब भी अपने दिल से दिल का मैं संवाद करता हूँ

कोई क्या जाने क्यों  मेरा अंतर्मन सुलगता है
कभी आग थी दिल में बस अब अंगार पलता है
के कोई जान पाये ना की रहता कौन इस मन में
अघोरी की तरह मल के ह्रदय पे राख़ रखता हूँ

कहना चाहता नहीं किसी से बात मैं मन की
अब तो लोग भी कहने लगे है मुझको थोडा सनकी
मुझे नहीं है कोई चाह शोहरत की या फिर धन की
मैं चाहूँ दोस्त जो पूरी करें कमी एक दर्पण की

मैं शायर हूँ जो महफ़िल में खुल कर गीत गाता है
न सीखी दुनियादारी और नया चलन न भाता है
न जानूं लोग क्या लिखते है, क्यों लिखते है इंग्लिश में
मैं एक हिन्दोस्तानी हूँ सिर्फ  हिंदी से नाता है

मैं हूँ भारत का बेटा हूँ मेरी पहचान हिन्दी है
कई भाषाएँ है इस देश में,पर मान हिन्दी है
यहाँ कुछ लोग अंग्रेजी परस्त है लेकिन
विदेशो तक में इस देश की ज़बान हिन्दी है
________________________________
मैंने ये गीत कुमार विश्वास से प्रेरणा लेते हुए लिखा है
शिवराज

हिन्दी दिवस पर एक कविता

क्यों हम को हिंदी बोलने में
लाज़ सी आने लगी है 
क्यों नयी पीढ़ी इंग्लिश 
गीत गाने लगी है 
क्यों टूटी फूटी अंग्रेजी में 
बात कर के गोरी इतराने लगी है 
जो इंग्लिश बोल न पाये 
वो गंवार मानी जाने लगी हैं 
क्यों हिन्दी भाषा का आज 
क्षरण हो रहा है 
और हिंगलिश भाषा का 
हर ओर वरण हो रहा है 
चाहे दिल में कुछ भी हो 
आवरण इंग्लिश हो रहा है 
ये कैसी मानसिकता है 
और कैसी गुलामी है 
अंग्रेज जा चुके अपने देश 
पर उनको सलामी है 
बताओ अंग्रेजी ने हम को 
एसा क्या दे दिया 
के हमने इस भाषा को 
इतना मान दे दिया 
हिन्दी ने इस देश को
पाला पोसा और बड़ा किया 
पूरे विश्व को ज्ञान देकर 
अपने पैरो पर खड़ा किया
 वेदों और पुराणों से ही
सीखा है समस्त धरती ने 
है कही रामायण जैसा 
ग्रन्थ कहीं और पृथ्वी पर
क्या अभिज्ञान शाकुन्तलम् जैसा काव्य 
और कहीं मिल पायेगा 
क्या वंदे मातरम् जैसा 
गीत कहीं बन पायेगा 
हमने भी धरती का 
कोना कोना नापा है 
इतनी विस्तृत इतनी समृद्ध 
और नहीं कोई भाषा है 
वो भारत का अध्यात्म चुराकर 
भारत में ही बेच रहे 
ये अंग्रेजी परास्त लोग
अपनी रोटी सेक रहे 
सच कहता हूँ, दिल से कहता हूँ 
बात मेरी मानो तुम 
हिन्दी गर्व हिंदुस्तान का है 
एसा मन में ठानो तुम
हिंदी में पढ़ो लिखो 
हिंदी में विचार करो 
अरे मूर्खो कुछ तो सोचो 
हिंदुस्तानी सा व्यवहार करो ।
आज हिन्दी दिवस है 
तुम्हे कसम है देश की 
रक्षा करो हिंदी की 
और अपने परिवेश की
रक्षा करो हिंदी की 
और अपने परिवेश की
---शिवराज------

बुधवार, 9 सितंबर 2015

मेरा दर्द


किसी को तोड़ नहीं पाता
मैं खुद ही टूट जाता हूँ 
इस लिए लोगों से अक्सर 
बहुत पीछे छूट जाता हूँ 
---शिवराज-----

मंगलवार, 8 सितंबर 2015

दर्द Pain

फिर दर्द के साथ हूँ 
फिर बड़ा उदास हूँ
ए दर्द तू ही बता दे
क्यों तेरे लिए खास हूँ 
---शिवराज

सुकून gratification


चाय की प्याली और कुछ देर बात
करते रहा करो दोस्तों से मुलाकात
सकूँ ढूंढो तो मिलता भी है जहाँ में
लोग परेशां होते रहते है बिन बात
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भाई आशीष के साथ शिवराज 

सोमवार, 7 सितंबर 2015

उसकी नींद भी खो जाए her sleep go away


काश मेरी नींद मुझे वापस मिल जाए 
जिसने चुराई है कृपया आकर लौटाए 
या के नींद चुराने वाला कहीं पकड़ा जाए
एसा लूं बदला उसकी नींद भी खो जाए 
---शिवराज------

शनिवार, 5 सितंबर 2015

गुरु और चेला Teacher and Student

शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षको
को मेरा सादर प्रणाम
---------------------
हर कोई 'गुरु' बनना चाहे
किसी का चेला कौन बने
मिले कहाँ से ज्ञान किसी को
बाकी सब जब गौण बने
सोचो समझो और पहचानो
क्या थे हम और कौन बने
इतना भी तुम मत इतराओ
फिर से तुम चेला बन जाओ
फिर जीवन अनमोल बने
----शिवराज------

शिक्षक दिवस Teachers day

सभी गुरुजनों को प्रणाम
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जीवन में जो आया उस से
कुछ न कुछ तो सीखा है
इसलिए हर एक परिचय
मेरा एक गुरु सरीखा है
---शिवराज----

शुक्रवार, 4 सितंबर 2015

इज़हार expression of emotion

सख्त लहजे में बता दिया है उसे 
इश्क़ में धोख़ा गवारा न करूंगा
लेकिन ये अलग बात है मेरे यारो  
प्यार किसी से दोबारा न करूंगा 
---शिवराज----

बुधवार, 2 सितंबर 2015

गम और ख़ुशी -Love and happiness

ख़्वाब, प्यार, वादा, वफ़ा, के कौन है दुश्मन ।
ये है बेबसी, गरीबी,धोखा, तन्हाई और जुदाई ।
बस नसीब का खेल है और कुछ नहीं प्यारे
किसी को गम मिला तो किसी ने ख़ुशी पाई ।
----शिवराज---

शनिवार, 29 अगस्त 2015

रक्षाबंधन का धागा


धागा तो कच्चा होता है
पर बंधन पक्का होता है
क्यों की भाई बहन का नाता
सब नातों से अच्छा होता है

ये नाता जब से जुड़ जाता
जब से मन बच्चा होता है
सभी जानते है ये बातें
की बचपन सच्चा होता है

माँ की ममता पिता सा नेह
दीदी से भी मिलता है
दीदी की प्यारी सीखों से
बचपन और संवरता है

बहन अगर छोटी हो तो
हम उसको सिखलाते है
अपने हिस्से का भी देकर
उसको सदा हंसाते है

उसकी निश्छल मुस्कान से
मन प्रसन्न हो जाता है
एसा निर्मल इस पावन
भाई बहन का नाता है

जीवन की गति के साथ
भाई बहन अलग हो जाते है
तब ये कच्चे धागे
हम को सब याद दिलाते है

जो रिश्ते दिल के होते है
वो तो पक्के ही होते हैं
कितने सुन्दर कितने अच्छे
कितने सच्चे भी होते हैं

अपनी बहन की खातिर
भाई कुछ भी कर जाते हैं
इसी लिए हम इतना सुन्दर
रक्षा बंधन पर्व मनाते हैं
----शिवराज-------

गुरुवार, 27 अगस्त 2015

वफ़ा और ज़फ़ा




अपने ही दग़ा करते है 
अपने ही ज़फ़ा करते हैं
और जो वफ़ा करते है 
वो अपने हो जाते हैं 
अपने ही ख़ुशी लाते हैं 
अपने ही तड़पाते हैं 
__शिवराज___

बुधवार, 26 अगस्त 2015

मुहब्बत


मुहब्बत हो गयी की न थी 
सुकूँ खोना किसको पसंद है 
बड़ी कमी है प्यार की यहाँ 
सब के सब जरुरतमंद है 

मेरे प्यार की गहराई को 
गर समझना चाहता है वो 
कह दो  बाहों में आजाये 
वरना तो बस साँसे चंद है 

इत्तेफ़ाकन मिल गयी थी 
मेरी और उसकी नज़र 
उस पल से ही वो मेरी
पहली और आखरी पसंद है 

मैं रोज़ उसकी गली से 
गुज़रता जरूर हूँ 
नज़र आता नहीं कभी भी 
शायद वो नज़रबंद है 

 __शिवराज___

मंगलवार, 25 अगस्त 2015

सुप्रभात


अपनी जिंदगी रोज़ कुछ इस तरह शुरू होती है मित्रो 
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सुबह की पहली रश्मि के साथ 
आज फिर झगड़ा हुआ 
छोड़ना ही पड़ा बिस्तर मुझे 
अंतिम ये फ़ैसला हुआ 
एक कप चाय की प्याली ने 
आँखों में रौशनी भर दी 
और फिर स्नान ने 
भरपूर ताज़गी कर दी 
फिर किया मैंने नाश्ता 
अक्सर करता हूँ मैं दौड़ता भागता 
मन प्रसन्न है काम पे जाता हूँ 
आप सब मित्रो का दिन शुभ हो 
दिल से कहना चाहता हूँ 
सुप्रभात
-------------शिवराज

शुक्रवार, 21 अगस्त 2015

अकेलापन


बहुत उदास हूँ अकेला हूँ 
दुनियां सर पे बिठाती है 
मगर मेरी उदासी, 
कहाँ देख पाती है 
वो तो बस मेरी 
सफलता की साथी है 
गम,दुःख-दर्द तो 
मैं साथ तेरे झेला हूँ 
कहाँ है तू के आज मैं 
बहुत उदास हूँ अकेला हूँ 
----शिवराज

सोमवार, 17 अगस्त 2015

देश भक्ति का फैशन


देश भक्ति का फैशन
नया नहीं है पुराना है 
इसको एक साल में 
दो बार तो
आना ही आना है 
बाकी तो वही सारा
रिश्वत का अस्मत का
फ़साना है 
न बदला है कुछ,
न बदलेगा 
बस साल बदल जाना है 
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
इस दिली इच्छा के साथ की 
अगले साल तक कुछ तो बदले ।
---शिवराज----

बदलाव


निश्चित ही
हम बदलना चाहते है ।
निश्चित ही
हम देश को भी बदलना चाहते हैं ।
हाँ हम सब ।
अपनी -अपनी
सहूलियतों के हिसाब से
सब कुछ बदलना चाहते है ।
क्योंकि सब की सहूलियतें
अलग अलग है ।
इस लिए सब आपस में संघर्षरत है
और देश एक तरफ अलग थलग है ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
शिवराज ~~

शनिवार, 15 अगस्त 2015

देश भक्ति की माला पिरो लो

अब कोरी बातों से यारों 
बोलो कैसे काम चलेगा 
हम जब खुद को बदलेंगे 
तब ही तो सब कुछ बदलेगा 

अगर हम करेंगे गंदगी 
बोलो कौन गन्दा होगा 
इतनी बात न समझा जो 
अक्ल का वो अँधा होगा

आओ सब मिलकर पहचाने 
जिनका कला धंधा होगा 
बड़ा सरल है काम ये भैया 
उसकी बातों में फंदा होगा 

कामचोरी,रिश्वतखोरी, सीनाज़ोरी, 
बड़ी आम बातें है अब तो 
जो ये सारे करम करते है 
उनको तो तुम बिलकुल तज दो 

जातिवाद है देश का दुश्मन 
गहरी पैठ बनाये है 
एक बार दिल से सोचो
हम क्यों इसको अपनाए है 
इसे त्याग कर अपना रिश्ता
दिल से दिल का पक्का जोड़ो 

आओ सब एक देश बनाएं 
जन जन का सन्देश बनाएं
हर एक प्रान्त मजबूत बनाए
क्या कश्मीर और क्या बोडो 

अब संभल कर चलना होगा 
मिल कर के लड़ना होगा 
अपने देश की खातिर लोगो 
आपस में लडना छोड़ो 

धरती देश की पावन होती है 
और हर एक नागरिक एक मोती है 
इतनी अरज़ करता हूँ भाई 
अगर बात समझ है आई 
देशभक्ति का धागा लेकर 
प्रेम प्यार की माला पिरो लो 
देश भक्ति की माला पिरो लो 

जय हिन्द 
--शिवराज---

सोमवार, 10 अगस्त 2015

सुप्रभात


पलंग छूटा और आगया 
मोबाइल मेरे हाथ ।
बस कुछ बटन दबाये
सबसे की मुलाक़ात ।
सोशल मीडिया में यारों
एक यही गलत है बात 
घरवालों को दूर करे 
अनजानों को पास 
बात बड़ी है जो कही है 
नहीं हास परिहास 
आप का दिन शुभ होगा
मैं करता हूँ प्रार्थना 
मुझको है विश्वास
सुप्रभात सबको मेरा 
कोई दुःख न आये पास
~~~~~~~~~~~~~~~
आप सब को सुप्रभात
शिवराज 

सोमवार, 3 अगस्त 2015

आदत


तराने गुनगुनाना आदत है मेरी 
यूं ही मुस्कुराना आदत है मेरी 
तू बेवफाई भी कर के देख ले 
भूल जाना तो आदत है मेरी 
---शुभरात्री मित्रों------

रविवार, 2 अगस्त 2015

मित्रता दिवस की शुभकामनाएं Happy friendship day




माँ-बाप, पति-पत्नी,भाई-बहन, बेटी-बेटा 
या कोई भी रिश्ता और मजबूत बना लो 
इतना सा करना है के तमाम रिश्तों में  
बस ज़रा सा दोस्ती वाला रंग मिला लो 
-----शिवराज---------
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 
Happy friendship day to All
______________________________

शुक्रवार, 31 जुलाई 2015

फाँसी

फांसी, बड़ी कड़ी सजा है ।
सभ्य समाज में 
इस तरह की कठोर सजा 
और फिर इस सजा का
फायदा न हो तो क्या मजा 
कहो कौन से अपराध होना
किसी सजा से रुके है 
बात तो सही है 
मगर जिसने भी कही है 
उसका कोई मरा है क्या 
किसी बम धमाके में 
या आतंक की गोली से 
हम नहीं समझ सकते 
की जब किसी की जान
इस तरह जाती है 
तो उसकी माँ को 
कितनी रुलाई आती है 
बाप के कितने आंसू सूखते है 
और कितनी चूड़िया 
उसकी पत्नी टूट जाती है 
इन्होंने कभी सोचा है
उसके बच्चों का क्या होता है 
किस तरह जिंदगी निकलती है ।
उनके पास जानकारी कहाँ
बिन बाप की बच्चियां कैसे पलती है 
फांसी अपराध को शायद न रोक पाये 
मगर इन सब के मन को 
थोड़ी शांति देती है 
जो सबसे जरूरी है 
इस लिए फाँसी की सजा भी
बहुत जरुरी है 
---शिवराज-----

मंगलवार, 28 जुलाई 2015

कलाम साहब को नमन

कलाम लिखे-पढ़े, बोले- सुने, जाते हैं ।
और कुछ कलाम दिल में बस जाते है ।

वो एक कलाम करोड़ों के दिल तारा है ।
गर्दिश में बस गया है अब, मगर हमारा है ।

क्या हिंदू ,क्या मुसलमा,क्या सिक्ख- ईसाई ।
आज किसी की रोके रूकती नहीं रुलाई ।
साबित कर दिया है जाते-जाते भी उन्होंने ।
मानवता ही सबसे पहला धर्म है मेरे भाई ।

वो चला गया तो है इस असीम आसमां में ।
छोड़ गया है अपना सब कुछ इस जहाँ में ।
उस के जाने का दिल में मलाल न रखना ।
जो छोड़ा है पीछे बस उसका ख्याल रखना ।

सलाम सलाम सलाम  
आप को मेरा बारम्बार सलाम 
भारत माँ के सच्चे सपूत 
शिक्षक, वैज्ञानिक, देशभक्त मजबूत 
प्यार मुहब्बत और शांति के दूत 
मेरा शत शत नमन,हज़ारो बार सलाम 
देश के मन में बसे रहोगे हर पल 
ए पी जे अब्दुल कलाम ।
---शिवराज शर्मा ---

श्रद्धांजलि डॉक्‍टर अब्‍दुल कलाम साहब

कल रात हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति माननिय अब्दुल कलाम साहब हमारे बीच नहीं रहे ।बहुत दुःख का विषय है ।
जिस तरह का प्यार जनता उन्हें दे रही है ये अभूतपूर्व है । शायद ही किसी को एसा प्यार कभी मिला हो या आने वाले समय में मिले । क्या देश के नेताओं के लिए ये सबक नहीं है । कुछ लोगो को उनके द्वारा धारण किये पद से जाना जाता है लेकिन कुछ महान व्यक्तिओं के द्वारा जब पद धारण किया जाता है तो पद की गरिमा में नए आयाम जुड़ जाते है और उस पद पर बाद में आने वाले व्यक्तियोँ के लिए मापदंड स्थापित हो जाते है ।कलम साहब ने भारत के राष्ट्रपति पद की गरिमा बढ़ाई और कार्य दक्षता, विनम्रता, सादगी और गरिमामय आचरण को एक नया मक़ाम दिलाया ।
आज हमारे सामने सबसे बड़ी दिक़्क़त यह है की कलम साहब् जैसे लोगो को वो स्थान नहीं मिलपाता जिसके वे हक़दार होते है। हमारा सिस्टम जिसमे नेता, अधिकारी और हम खुद शामिल है सीधे साधे प्रतिभावान लोगों को आगे बढ़ने नहीं देता । आज कलाम साहब के देहत्याग के बाद हमें उनकी कमी निश्चित ही खलेगी । आइये हम कोशिश करें खुद को और इस तंत्र को बदलने  की ताकि देश को और कलाम मिल सकें ।
किसी ने कितना सच लिखा है ....

बहुत मुश्किल है कोई यूं वतन की जान हो जाए, 
तुम्‍हे फैला दिया जाए तो हिन्‍दोस्‍तान हो जाए......

....श्रद्धांजलि डॉक्‍टर अब्‍दुल कलाम साहब ।
------शिवराज ----


बुधवार, 22 जुलाई 2015

दूरियाँ

दिल की तमाम दूरियाँ मिटा दी उसने 
मेरी मुहब्बत इस तरह सजा दी उसने 
पाना उसको अब ज़रूरी है ही नहीं 
दीवानो सी हालात मेरी बना दी उसने 
---शिवराज---

मंगलवार, 14 जुलाई 2015

सवाल


उसने माफ़ कर दिया मुझको कमाल है 
मगर जुर्म क्या था ये अभी तक सवाल है 

उसको भी लगावट है ये दिल कहता था 
मैंने हर बार बताया ये तेरा एक ख्याल है 

दीवाने को अब फर्क नहीं आगे क्या होगा 
उसने मुस्कुरा के देखा लिया जिंदगी निहाल है 

--शिवराज------

बुधवार, 8 जुलाई 2015

सुप्रभात


गुज़र गयी है फिर से एक रात दोस्तों 
क्या आज का दिन देगा साथ दोस्तों 
वक़्त से करने को दो दो हाथ दोस्तों 
मैं तैयार हूँ, कर दो दुआएं साथ दोस्तों 
आप सब को मेरा सुप्रभात दोस्तों 
आप सब को मेरा सुप्रभात दोस्तों 
सुप्रभात 
शिवराज

मंगलवार, 7 जुलाई 2015

अधूरा ख़्वाब

कल का अधूरा ख़्वाब 
बेताब है पूरा होने को ।
दोस्तों सबको शुभरात्री 
मैं जा रहा हूँ सोने को ।

good night मित्रो 
शिवराज 

सोमवार, 6 जुलाई 2015

नींद


क्या पता है आप को इस बात का
बड़ा इंतज़ार रहता है मुझे रात का
नींद छुपा लेती है हर चिंता हर गम
कुछ देर को दर्द कर देती है कम
ए नींद तू अब आजा मेरी आँखों में
तेरा स्वागतहै बहुत बहुत स्वागतम्

शुभरात्री / शब्बा ख़ैर
आपका अपना
शिवराज

शुक्रवार, 3 जुलाई 2015

शुभरात्री


सुबह से अपना कर्त्यव्य निभा रहा हूँ ।
जिंदगी की चक्की में पिसा जारहा हूँ ।
शाम ढल चुकी, रात जवां होने को है ।
मुझको विदा करो मैं सोने जा रहा हूँ ।
---शुभरात्री मित्रो---
आप का शिवराज

बुधवार, 1 जुलाई 2015

happy doctors day

मेरे जीवन में बहुत दुःख आते हैं
कुछ अपनों के है
और कुछ दर्द  पराये ले आते हैं
परायों के दर्द का इलाज़ कर देता हूँ
डॉक्टर हूँ पीड़ा हर देता हूँ
मगर अपने दर्द का दवाई ढूंढ रहा हूँ
पढ़ने में जो उम्र गवाईं ढूंढ रहा हूँ
--शिवराज
HAPPY DOCTORS DAY TO ALL MY DOCTOR FRIENDS, SENIOR,JUNIOR

सुप्रभात


गुजरी है बड़ी लंबी कल की रात दोस्तों 
खैर, सुबह हुई सब को सुप्रभात दोस्तों 
एक नया दिन है अब अपने साथ दोस्तों 
यही उम्मीद है के बदलेंगे हालात दोस्तों 
जानता हूँ के है कठिन हालात दोस्तों 
पर वक़्त बदलता है वक़्त के साथ दोस्तों 
चलो आओ करें दिन से मुलाक़ात दोस्तों
एक बार फिर सबको सुप्रभात दोस्तों 
~~शिवराज~~~
(चित्र--वंदना मिश्रा)

रविवार, 21 जून 2015

अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर एक आलेख

चित्र: अमित भारद्वाज

आज अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सब को शुभकामनाएं देना चाहता हूँ ।निश्चित ही देश के नूतन इतिहास में एक नया अध्ध्याय है ।
योग एक तरह का समग्र व्यायाम है । शरीर का मन का दिमाग का । योग नियमित करने वाले अपने को स्वस्थ्य महसूस करते है । 
बहुत साम्य के बाद यह देखने में आया की भारत वर्ष की इस धरोहर को पूरे विश्व् ने सह्रदय अपनाया । देश का नेतृत्व इस के लिए बधाई का पात्र है । 
इस बार एक और अच्छी बात हुई है । योग से सम्बंधित विवाद बड़े ही अच्छे तरीके से सुलझाए गये और देश के सभी लोगों ने धर्म जाती से ऊपर उठ कर इस देश के सही स्वरुप (विविधता में एकता) का परिचय दिया ।
सभी इस बात से अवगत है की भारत में योग को आगे बढ़ाने का काम बाबा रामदेव ने किया । बाबा रामदेव को घर घर में जाना जाता है । बाबा रामदेव एक मात्र वो शख्स नहीं है जिन्होंने योग को आगे बढ़ाया है ।देश के इतिहास में कई योग गुरु रहे हैं । श्री बी के एस अयंगर देश के वो महान योग गुरु रहे है जिनको श्रेय है भारत के योग को विश्व भर में पहुचाने का। इनका खुद का एक योग है जिसे अयंगर योग कहा जाता है । इसके अलावा श्री के पट्टाभी, श्री महेश योगी ,स्वामी शिवानंद ,परमहंस योगानंद, श्री जग्गी वासुदेव और बिक्रम चौधरी कुछ अन्य मह्त्वपूर्ण नाम है । भारत में कम ही लोगो को पता होगा की श्री तिरुमालाई कृष्णमचर्या को अक्सर नूतन योग का जनक (fathar of Modern yoga) कहा जाता है ।
मेरा असल उद्देश्य ये है की देश के लोग इन गुरुओं के बारे में भी जाने जो कम ही जाने जाते है । इंटरनेट इसका एक उपयुक्त माध्यम है ।

योग के बारे में एक सावधानी रखने की बात कहना चाहुँगा । बहुत से लोग ये दावा करते है की कई असाध्य बीमारी जैसे डाइबिटीज़ ,कैंसर ,डेंगू,  स्वाइन फ्लू आदि योग करने से ठीक हो जाते हैं । मैं एक चिकित्सक होने के नाते ये जानता हूँ की ये संभव नहीं है । सो अपने विवेक और तर्क पर ऐसे दावों को परखते रहे ।
योग करें स्वस्थ्य रहे ।
------शिवराज---

शनिवार, 13 जून 2015

मैं शायर नहीं हूँ


मैं शायर नहीं हूँ, बस ऐसा लगता है दोस्तों ।

के मेरी बातों में दर्दे दिल झलकता है दोस्तों ।

तुम छुपा जाते हो दर्द, या है ही नहीं कोई ।

मैं तो दिखा देता हूँ मेरे सारे ज़ख्म दोस्तों ।

----शिवराज--------

मंगलवार, 9 जून 2015

सच


जिंदगी का सच से सामना हो रहा है ।
प्यार बाकी तो है पर कम हो रहा है ।

जिसने कहा था मैं तुम पे मर मिटी हूँ ।
लगता है उसका दूजा जनम हो रहा है ।

कोंपल से जो धीरे धीरे वृक्ष बन गया था ।
शाख दर शाख अब कलम हो रहा है ।

अभी तक खुशियों की ही नमी चखी थी ।
नयनो को अब दर्द का खारापन धो रहा है ।

मैं जब अपने आप को हस्ती समझता था ।
भूल जाऊं वो सब दिन बड़ा मन हो रहा है ।

मेरे बस में नहीं कुछ, जो होगा वो होगा ।
अब छोड़ दिया सोचना क्या हो रहा है ।

------शिवराज------

शनिवार, 30 मई 2015

गिरफ़्तारी

इश्क़ में कैसी ये गिरफ़्तारी है 
जैसे दिल की कोई लाचारी है 

दूर जाने का मौका है फिर भी 
हमको क्यों ये जंज़ीर प्यारी है 

दिल की बात उसे कहने से पहले 
करनी उस के दिल से यारी है 

उसे भी थोडा करीब आना चाहिए 
क्या हर बात बस मेरी जिम्मेदारी है 

---शिवराज--------


मंगलवार, 26 मई 2015

वक़्त के तोते में सबकी जान है

कहीं मुस्कुराती सुबह है
कहीं भीनी शाम है ।
कुदरत की कलाकारी है
जिंदगी दूजा नाम है ।

कहीं खुशियों के मेले है
कई भीड़ में अकेले है ।
जिंदगी के सबक है
समझना अपना काम है ।

कहीं गदहा पहलवान है
कहीं पहलवान बेजान है
ताकत इंसान में कहाँ
वक़्त के तोते में सबकी जान है ××××××××××××××××××××××
सब को सुप्रभात
___शिवराज______

सोमवार, 18 मई 2015

शानबाग को सलाम

पूरे बयांलिस बरस 
तीन बाय छ के घर में 
जवानी से बुढ़ापे तक 
सांस सांस को तरस
लड़ी जिंदगी की जंग 
रही फिर भी सरस
दिखा दी नारी शक्ति
बरसाया शौर्य रस 
आज जब विलीन हुई 
कह गयी अब बस 
बस करो ये घिनौनापन 
वरना जाओगे तरस 
फिर कौन बरसायेगा 
तुम पर प्रेम रस 
रहेगा याद मुझे 
तेरा अदभुत् संघर्ष 
अरुणा रविन्द्रन शानबाग 
तुम तो हो प्रेरक 
जिन्दा रहोगी दिलों में 
बन के एक दीपक 
आज अंतिम पलो में 
सर तेरे चरणों में रख 
करता हूँ दंडवत प्रणाम 
तुझे सलाम तुझे सलाम 
----शिवराज--------
Picture courtesy Google

गुरुवार, 14 मई 2015

बड़ा दिल रखता हूँ


वैसे चाहे मैं कितना भी सबर रखता हूँ ।
चोरी चुपके मग़र उसकी ख़बर रखता हूँ ।

खामोश रहता हूँ मगर अंजान नहीं हूँ मैं।
अपने हों या पराए सब पे नज़र रखता हूँ ।

कोई मिले मुझसे तो अपनापन लगे उसे।
इसलिए मैं अपनी "मैं" को घर रखता हूँ ।

भगवान है ये बात मानता नहीं हूँ मैं ।
माँ बाप के कदमों में मगर सर रखता हूँ ।

ये बात मुझको पापा ने सिखाई थी कभी ।
आदमी छोटा हूँ बड़ा दिल मगर रखता हूँ ।

------शिवराज---------
मेरे पिता को समर्पित

रविवार, 3 मई 2015

कुछ बदले




इतना तो कर दे ए खुदा की मेरे दिन बदले ।
न मैं बदला न वो बदले न मेरे अरमां बदले ।

आता नहीं समझ ये फ़साना कभी मुझको ।

अकेले में मिलते है वो, तो कुछ बदले बदले ।

इतना न इम्तिहान ले के बदल जाएं हम ।

अब के बदले तो मुश्किल है, फिर बदले ।

न जाने क्यों उम्मीद अभी बाकी है आप से ।

कोशिश में मैं भी साथ हूँ कुछ फ़िज़ा बदले ।

|~|~|~शिवराज~|~|~|

शुक्रवार, 1 मई 2015

उदासी




यूं ही कभी भी चली आती है 
मेरे पास 
उदासी ।
अपना दोस्त समझकर 
और मैं 
उसका दिल नहीं तोड़ पता 

और फिर ........

कही ये मुझसे रूठी 
तो कौन आयेगा 
मेरे साथ वक़्त बिताने 
हाँ पसंद है 
मुझे भी
उदासी 
क्योकि साथ देती है 
मेरे गम में 
निस्वार्थ उदासी 
---शिवराज

मंगलवार, 28 अप्रैल 2015

जलजला


इंसान को अपनी औकात दिखा गया ।
हल्का सा जलजला जो धरती पे आगया ।

आज बिलकुल सही मौका ये सोचने का है ।
क्या किसके साथ आया है और क्या गया ।

अपने बच्चों पे कहर ढाने का मकसद होगा ।
धरती माँ को इसमें कौन सा मज़ा आगया ।

~~~~~शिवराज

शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015

मौत का हक़दार


वो यक़ीनन ही मौत का हक़दार था ।
जो अपनों की बेरुखी का शिकार था ।

बेटा बहु पोता पोती चाहे पूछते न थे ।
वैसे उसका एक भरा पूरा परिवार था ।

सारी उम्र लगाई थी जिसने घर के वास्ते ।
उसका बस गैराज पर ही अधिकार था ।

मैं मिला था कुछ दिन पहले जब उसे ।
हंस के बोला था के जिंदगी से बेज़ार था ।

~~~शिवराज

मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

ख़ुशनुमा


जान लो मैं हर वक़्त खुशनुमा क्यों होता हूँ ।

अपने चेहरे को नयन के नीर से मैं धोता हूँ ।
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हो गया प्रवाह पीड़ा का अब इतना अधीर । 

अक्सर अकेले में मैं गम का दरिया होता हूँ ।
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सब कुछ पाकर भी क्यों ग़मज़दा है पूछा गया ।

क्या कहूँ तुमको मैं हर पल क्या क्या खोता हूँ ।
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सुना है तेरी परवाह है इस ज़माने को राज़ ।

सुनी हुई बातों पे मैं अब भी क्यों खुश होता हूँ ।
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शिवराज 

सोमवार, 23 मार्च 2015

शहीदे आज़म और साथियों को शत् शत् नमन

एसम्बली का वो छोटा सा धमका ।
आवाज़ धुँआ और उड़ते हुए कागज़ ।
और एक अफ़रातफ़री हर तरफ़ ।
इस सब का फायदा उठा कर ।
वो फ़रार होते हुए नहीं दीखे
हथकड़ी पड़ी हाथों में
पहुचे सलाखों के पीछे ।
बचने की ग़रज़ से
न किया कभी अपने सर को नीचे ।
झूठे आरोपो का खुद सामना किया ।
और साथ बटुकेश्वर दत्त ने पूरा दिया ।
जेल में अन्न त्याग कर लोहा जता दिया ।
इस देश की माटी को
खुली हवा का एहसास करा दिया ।
बातों का ढोल पीटना पसंद नहीं था ।
लेकिन उसके ज्ञान का कोई अंत नहीं था
हाँ देवता था, कोई साधारण संत नहीं था
उसकी क्रांति का आधारआतंक नहीं था ।
बेवजह किसी को भी हाथ न लगाता था ।
बस घात का जवाब प्यार से दे न पाता था ।
वो तो देश की आज़ादी का परवाना था
नौजवां शेर था वो फंदा उसका ठिकाना था ।
सिंह था वो सिंह कभी मरते नहीं ।
क्या वज़ह है आजकल हम लोग
देश के शहीदों को याद करते नहीं ।
मैं याद तो करता हूँ दोस्तों
पर कभी बताता नहीं
इस बात पे शर्मिंदा हूँ
की सिंह बन पाता नहीं ।
इस बात पे शर्मिंदा हूँ
की सिंह बन पाता नहीं ।
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शहीदे आज़म और साथियों को शत् शत् नमन
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शिवराज 

रविवार, 22 मार्च 2015

सपने

रात जिसकी ख्वाहिश की थी सपनो में ।
आया था कोई और उसके भी सपनो में ।

ये जिंदगी है प्यारे खुली आँख से देखो ।
न जाने कितने गैर होंगे तेरे ही अपनों मैं ।
~~~~शिवराज~~~~~~~~~

बुधवार, 18 मार्च 2015

भूल


एक भूल थी या उसे कोई खता बता दूं ।
क्यों चाहा था मैंने प्यार तुझ पे जता दूं ।

दिल धड़कता था जब से आया दुनियां में ।
जाने क्या सूझी की इसकी कोई वजह दूं ।

कभी कभी आता है ये ख्याल भी मन में । 
तेरी बेरुखी की क्यों खुद को मैं सजा दूं ।

एक बार जो तू सामने आये तो ही पता चले ।
के दिल खोल बददुआ दूं तुझे या के दुआ दूं 
-------शिवराज----

शनिवार, 7 मार्च 2015

होली


लाल गुलाबी रंगो की होली खूब मनाई आप ने ।
क्या कभी दिल की कालिख भी हटाई आप ने ।

कितना गहरा रंग लगाया लेकिन उतर जाएगा ।
ता उम्र खिली रहती जो होती प्रीत लगाई आप ने ।

क्या त्यौहार मनाना सिरफ़ एक दिन के वास्ते ।
सीख़ अग़र बच्चों को इनकी न सिखाई आप ने 
---शिवराज------

बुधवार, 4 मार्च 2015

कहानी




मेरी जिंदगी की बस इतनी सी कहानी है ।
हंसी लब पे झूठी सच आँख का पानी है ।

जिस पे भरोसा होगा तोड़ेगा वही उसको ।
ये बात न समझ आई है और न आनी हैं ।

प्यार इश्क़ वादा वफ़ा इकरार  लगावट । 
ये सारी बाते बस जमाँ खर्च जबानी है ।

एक झूठ को सच जाना कहलाया दीवाना मैं ।
तुम को भी लगा होगा वो मेरी दीवानी है ।

हम साथ साथ खेले हाथों में हाथ ले ले ।
ये बचपन की यादें हैं अब दौर ए जवानी है ।

रुसवा न हो इश्क़ ज़माने में किसी तरह् ।
उल्फ़त की सभी रस्मे मुझको निभानी है ।


जब चाहा पूछना मुह मोड़ने का सबब ।
मुह मोड़ के बोले हम लोग ख़ानदानी हैं।
====शिवराज=======

मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015

रात का दर्द



मैं हूँ रात 
बड़ी बेमानी सी 
हो गयी हूँ आजकल 
किसी को भी 
पहले की तरह् 
अब इंतज़ार नहीं है
मेरा 
अब तो काले कारनामे तक 
दिन के उजाले में 
होने लगे हैं 
अँधेरे अपना अस्तित्व 
बिजली की रौशनी में
कहीं खोने लगे हैं 
---शिवराज------

शनिवार, 14 फ़रवरी 2015

सौदा



वो इश्क़ में भी सौदेबाज़ी लगाना चाहता था ।
सिर्फ एक नज़र में अपना बनाना चाहता था ।

मुझको मालूम था दुनियां का चलन पहले से ।
वो तो मुझको ठग के चले जाना चाहता था ।

दिल दो तो बात आगे बढ़ाओ मैंने जब कहा ।
हँस के बोला मैं बस जलवा दिखाना चाहता था ।
-----शिवराज----