रविवार, 28 दिसंबर 2014

ख़ामोशी


कुछ कहते कहते खामोश रह गया ।
आँख में रुका हुआ मोती बह गया ।
किसी को जरा सी खबर भी न हुई ।
वो शख्स जाने क्या क्या सह गया ।
____शिवराज______

कोई टिप्पणी नहीं: