खोटा सिक्का भी कहीं चल सकता हैं
उसको ज्यादा सोचना अच्छा नहीं
कभी कोई ख्वाब पल भी सकता है
हर आदमी को शक के दायरे में रखो
कोई भी कुछ भी निकल सकता है
कभी देखा भी है इंसान को रंग बदलते
यूं ही गिरगिट को माहिर समझ रखा है
दुनियां में जीने की अदा को ऐसे समझो
जैसे पानी माटी के साँचे में ढल सकता है
~~~~~शिवराज~~~~~~~~~
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